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गंगा बैराज पर चालू है अवैध तरीके से मछली पकड़ने का कारोबार

कानपुर (सूरज वर्मा). कोहना थाना क्षेत्र में स्थित गंगा बैराज पर इन दिनों जलीय जंतुओं को पकड़ने का अवैध कारोबार प्रशासन द्वारा रोक लगाये जाने के बावजूद धड़ल्ले से चल रहा है. इस पर लगाम लगाने की तमाम कोशिशें पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। आरोप है कि यहां निगरानी के लिये जिम्मेदार लोग खुद अपनी मौजूदगी में मछलियों का शिकार करवाते हैं। यहां एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर मछलियों और कछुओं का अवैध शिकार किया जा रहा है। 



बताते चलें कि गंगा में बिठूर से लेकर वाराणसी तक मछलियों के शिकार पर रोक है। हर साल बड़े पैमाने पर गंगा में रोहू, कतला, नैन आदि प्रजातियों की मछलियां मत्स्य विभाग छोड़ता है ताकि ये मछलियां गंगा के प्रदूषण को कम करें। बावजूद इसके कुछ माफिया बिठूर से रानी घाट तक बड़े पैमाने पर मछलियों का शिकार करा रहे हैं। प्रतिदिन 10 से 12 क्विंटल मछली का शिकार हो रहा है। जानकारी के अनुसार कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र स्थित गंगा बैराज पर एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर शिकारी अवैध रूप से मछलियों का शिकार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की माने तो ये मछली शिकारी रोज खुलेआम दर्जनों नावों में सवार होकर सुबह से शाम तक मछलियों का शिकार करते हैं। आपको बता दें कि बैराज से चंद कदमों की दूरी पर पुलिस चौकी भी स्थित है फिर भी मछली शिकारी धड़ल्ले से इस काम को अंजाम दे रहे हैं।


सूत्रों की माने तो कछुओं को पकड़ने वाला गिरोह कछुओं को मारकर उसकी खास झिल्ली उतारकर सूखा देते हैं. जिसे कैलिपी कहते हैं. इसकी कीमत विदेशी बाजार में दस गुना ज्यादा होती है. गंगा बैराज पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद के बाद गंगा में मछली मारने वालों पर नजर रखने के लिए विभागीय लोगों को लगाया गया था, पर सभी प्रयास व्यर्थ ही रहे। शहर में गंगा नदी में अवैध मछली के शिकार को लेकर कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है। इसी को देखते हुए पूर्व में मत्स्य विभाग की बैठक होने के बाद निगरानी बढ़ाने की बात रखी गई थी। दूसरी तरफ ऐसे क्षेत्रों के थानों को भी अलर्ट रहने को कहा गया था। पुलिस ने शिकंजा कसते हुए गंगा बैराज में मछली मारने वाले शिकारियों को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा, फिर भी मछली का अवैध शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। 


जानकारों का कहना है कि कटरी क्षेत्र के साथ महाराजपुर, कोहना व नवाबगंज पुलिस ने अवैध शिकार करने वालों की धरपकड़ के लिए तमाम प्रयास किये जो किसी काम नहीं आये। वहीं मत्स्य विभाग ने अब मछली पकड़ने का ठेका लेने वालों के साथ विभागीय लोगों को निगरानी के लिए लगाया है। वैसे तो गंगा को छोड़कर दूसरी नदियों में मछली पकड़ने का बकायदा ठेका निकलता है लेकिन गंगा में मछली पकड़ने पर रोक लगी है। परन्तु जब रखवालों का हाथ आपके सिर पर हो तो सारे गलत काम भी सही साबित हो जाते हैं।

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